
राजधानी समेत प्रदेश के 34 शहरों में कॉलोनी निर्माण, पेट्रोल पंप, वेयरहाउस समेत हर प्रकार के विकास कार्य के लिए जीआईएस बेस्ड परमिशन जारी की जाएंगी। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) ने भोपाल में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत कर दी है।
टीएंडसीपी ने मैप आईटी के साथ ऑटोमेटिक लेआउट प्रोसेस अप्रूवल एंड स्क्रूटनी सिस्टम फेज टू शुरू किया है। इसमें जिस जमीन पर विकास अनुमति चाहिए, वहीं पर जाकर जीआईएस लोकेशन लेकर लेआउट बनाना होगा। इसके बाद की सारी प्रोसेस फाइल या नोटशीट की बजाय ऑनलाइन होंगी।
नए सिस्टम में यह होगा
सहायक संचालक हरिओम माहेश्वरी ने बताया कि टीएंडसीपी की वेबसाइट के जरिए नए सिस्टम में ऑनलाइन लेआउट सबमिट होता है लेकिन अब यह नक्शा जीआईएस कोऑर्डिनेट्स के साथ सबमिट होगा। इससे टीएंडसीपी के पैनल पर ऑनलाइन नक्शा अपलोड हो जाएगा। साथ ही वहां की सैटेलाइट इमेज भी आएगी।
सॉफ्टवेयर खुद मास्टर प्लान समेत सभी नियमों की पड़ताल कर लेगा। गलती नजर आने पर लेआउट सबमिट नहीं होगा। इंजीनियर्स को सर्वे करने के लिए मौके पर अपने जीएसआई कोऑर्डिनेट्स बताने होंगे। इसके बाद टीएंडसीपी दफ्तर में कोई फाइल नहीं बनेगी। सभी अफसरों को कमेंट कर ऑनलाइन ही परमिशन जारी करनी होगी।
यह फायदे भी होंगे
- परमिशन में होने वाली गड़बड़ियां रुकेंगी। यानी यदि मौके पर सड़क नहीं है या फिर ओपन स्पेस कम रखा तो तुरंत पता चलेगा।
- ऑनलाइन स्क्रूटनी होने से आर्किटेक्ट फौरन नक्शे की गड़बड़ियां सुधार सकेंगे।
- फाइल का मूवमेंट तेज होगा और विकास अनुमतियों में लगने वाला 60 दिन का समय और कम हो जाएगा।
- उच्च अधिकारी फाइल की हर अपडेट तुरंत देख सकेंगे।
गफलत भी
पुराने आवेदकों को 15 तक डेडलाइन:-पुराने सॉफ्टवेयर के जरिए परमिशन के लिए आवेदन करने वालों को टीएंडसीपी ने 15 मार्च तक अप्रूव कराने की डेडलाइन दी है। परेशान आवेदकों का कहना है कि वे आर्किटेक्ट से नक्शा व सर्वे कार्य करवा चुके हैं। 15 तक परमिशन नहीं मिली तो नए सिस्टम में फिर अप्लाई करना पड़ेगा।
एक्सपर्ट की राय- कुछ दिन साथ चलें दोनों सिस्टम
टाउन प्लानर सुयश कुलश्रेष्ठ का कहना है कि कुछ दिनों तक दोनों सिस्टम को साथ में चलाना चाहिए। इससे नए सिस्टम को भी लोग ठीक से समझ लेंगे और पुराने आवेदकों परेशानी नहीं होगी। इसके लिए आर्किटेक्ट स्तर पर ट्रेनिंग की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
पारदर्शी होगी व्यवस्था, नहीं लगाने होंगे चक्कर
नई व्यवस्था को फिलहाल प्रदेश के 11 शहरों में शुरू किया जा रहा है। इससे लोगों को टीएंडसीपी के बार-बार चक्कर नहीं लगाने होंगे और व्यवस्था भी पारदर्शी होगी।– मुकेश चंद्र गुप्ता, कमिश्नर, टीएंडसीपी
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