*स्वागत में बिछा दिए पलक पांवडे, दर्शन देखकर सब हुए निहाल बोले…..जय जगन्नाथ*
*सबकी आस हुई पूरी घर पधारे प्रभु को देखकर सब बोले….जय जगन्नाथ*
*अभूतपूर्व स्वागत में उमड़ पड़ा भक्ति और आस्था का जन सैलाब*…..
*गलियों और मोहल्लों से निकलकर पर थाल सजाकर सड़कों पर किया रथ यात्रा का इंतजार*
*श्रद्धा ऐसी की सब भूलकर रास्तों के कंकड़ों को उठाकर और झाड़ू लगाकर सड़कों की धूल की साफ*
*गंजबासौदा।* भगवान और भक्त के बीच श्रद्धा और आस्था का संबंध कैसा और क्या होता है, यह जगन्नाथ महाप्रभु की 40 दिन की यात्रा पूरी होने के बाद बुधवार नगर आगमन पर उनके स्वागत में उमड़े जन सैलाब को देखने में मिला। महीनों से आनंद, उत्सव और उमंग के क्षणों के इंतजार में बैठीं हजारों आंखें आज अपने भगवान को एक नजर करीब आते देख भाव विभोर हो गईं। शहर के हर वर्ग, संगठनों ने स्वागत में ऐसे पलक पावड़े बिछाए की रास्ते जाम हो गए और चारों ओर जय जगन्नाथ के जयकारों से आस्था का सैलाब उमड़ता हुआ दिखाई दिया। अभूतपूर्व स्वागत के साथ आस्था और भक्ति के 11 किलोमीटर का यह सफर ऐसा रहा कि भगवान को अपने धाम स्टेशन रोड स्थित नौलखी मंदिर तक पहुंचने में 15 घंटे से अधिक का समय लग गया। महाप्रभु के नगर में मंगल आगमन की शुभ घड़ी ऐसी नजर आई कि स्वागत करते हुए ना हाथ रुके और ना ही जगन्नाथ का भात पाते भक्तों का मन भरा। भगवान जगन्नाथ के स्वागत की इस बेला में सुबह से दोपहर हुई और दोपहर से शाम शाम होते होते रात कब आ गई पता ही नहीं पड़ा। रास्ते भर भंडारे में जिसे जो-जो भी मिला सभी ने दिल से पाया।
उड़ीसा जगन्नाथपुरी से भगवान जगन्नाथ महाप्रभु ने बहन सुभद्राजी, बड़े भाई बलभद्र जी और 40 पद यात्रियों के साथ 1200 किलोमीटर और 40 दिन का सफर तय करके बुधवार को नगर में धूमधाम और गाजे बाजे के साथ प्रवेश किया। रथ यात्रा के नगर आगमन पर स्वागत में उमड़े जन सैलाब को देखकर ऐसा लगा मानो आज शहर जगन्नाथपुरी बन गया हो। जिन-जिन रास्तों से रथ यात्रा गुजरी वहां जगह-जगह तोरण द्वार लगे दिखाई दिए। स्वागत का नजारा ऐसा था कि घर के सामने या जिनके घर मुख्य मार्ग पर नहीं थे उन्होंने गलियों और मोहल्लों से निकलकर सड़क पर ही गोबर लीपकर चौक रंगोली बना ली और पुष्प वर्षा कर रथ यात्रा का स्वागत किया। महिलाएं हाथों में पूजा की थाल लिए, सिर पर मंगल कलश लेकर मंगल गीत गाते हुए अपने भगवान की अगवानी कर रही थीं। पुरुष वर्ग पटाखे फोड़कर और बैंड बाजे, डीजे के सामने नाचकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। यात्रा में नौलखी के सिद्ध संत साकेतवासी जगन्नाथदास जी महाराज के चित्र के साथ चल रहा एक रथ भगवान जगदीश स्वामी के रथ के पीछे चल रहा था। सागर से आए अखाड़े के दल ने अपनी प्रतिभा का एक से बढ़कर एक प्रदर्शन किया। गांव गांव से आईं भजन मंडलियों ने भी रथ यात्रा में रंग जमा दिया। नगर की सभी समाजों,सामाजिक व्यापारिक और हिंदू संगठनों ने अलग-अलग स्वागत द्वार लगाकर और प्रसादी बांटकर रथ यात्रा का स्वागत किया। वहीं रथ यात्रा मार्ग में इंतजार में खड़े विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थी भी भगवान जगन्नाथ स्वामी के स्वागत के लिए उत्सुक दिखाई दिए।
*स्वागत ऐसा कि 11 किलोमीटर नापने में लग गए 15 घंटे*
ककरावदा में रात्रि विश्राम के बाद रथ यात्रा ग्राम मेवली और बैतोली होते हुए त्योंदा रोड़ पहुंची जहां नगर की ओर से भव्य अगवानी हुई। सुबह 11बजे शहर की सीमा से प्रारंभ होते हुए यात्रा रात होते-होते स्टेशन रोड़ स्थित नौलखी मंदिर पहुंची। जहां यात्रा का समापन हुआ। यात्रा को 11 किलोमीटर के इस सफर को तय करने में करीब 15 घंटे से अधिक समय लग गया। इधर विधायक हरिसिंह रघुवंशी, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती शशि अनिल यादव एवं जनपद अध्यक्ष नीतू देवेंद्र सिंह रघुवंशी सहित अन्य गणमान्य नागरिकों , अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने भी रथ यात्रा का स्वागत किया। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने नौलखी खालसा के श्रीमहंत राममनोहर दास जी महाराज सहित सभी पदयात्रियों का साफा बांधकर अभिनंदन किया। इधर नगर पालिका अध्यक्ष शशि यादव,सीएमओ पवन शर्मा सहित अन्य पार्षदों ने भी रथ यात्रा के आगे-आगे झाड़ू लगाकर रास्तों को साफ किया। उधर लालपठार के परिवर्तित मार्ग से त्योंदा रोड़ पहुंची रथ यात्रा के निर्धारित मार्ग पर रास्तों के कंकड़ों को बीनकर बीनकर हटा रही थीं। वही नगर में भी महिलाएं और पुरुष भी श्रद्धा और भक्ति के चलते यात्रा मार्ग पर भगवान के रथ के आगे आगे झाड़ू से सड़कों की धूल साफ करते हुए दिखाई दिए।