मध्यप्रदेश की कथक नृत्यांगना डॉ. यास्मीन सिंह ने इस्कॉन द्वारका में दी भावविभोर कथक प्रस्तुति

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Muskan Singh

प्रख्यात कथक नृत्यांगना डॉ. यास्मीन सिंह ने श्रीकृष्ण के चरणों में कथक के पुष्प अर्पित किए..                  

मध्यप्रदेश की कथक नृत्यांगना डॉ. यास्मीन सिंह ने इस्कॉन द्वारका में दी भावविभोर कथक प्रस्तुति

 

नई दिल्ली, 17 अगस्त, 2025: दिल्ली के द्वारका स्थित इस्कॉन मंदिर में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर प्रख्यात कथक नृत्यांगना डॉ. यास्मीन सिंह और उनके समूह ने भव्य नृत्यांजलि प्रस्तुत की। इस सांस्कृतिक आयोजन ने भक्तों और कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

डॉ. यास्मीन सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैं मध्य प्रदेश से आई हूँ और मेरे साथी नर्तक देश के विभिन्न हिस्सों से हैं। यह हमारे लिए बड़े ही भाग्य की बात है, क्योंकि बहुत कम ही लोग होते हैं, जिन्हें इस तरह का अवसर प्राप्त होता है। यह हमारा सौभाग्य ही है कि हमें प्रभु के श्रीचरणों में नृत्य के पुष्प अर्पित करने का सुअवसर मिला। हम सभी बहुत प्रफुल्लित और प्रसन्न हैं। सभी दर्शकों ने बहुत ही भावपूर्ण तरीके से हमारा कार्यक्रम देखा। हमने उन्हें हमारे कार्यक्रम से पूरी तरह जुड़ा हुआ पाया। सबसे बड़ी बात यह है कि वे कथक समझ रहे थे, हमारे नृत्य की भाषा समझ रहे थे। हमें उनका पूरा सहयोग प्राप्त हुआ, यही वजह है कि हम इतने बड़े कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक कर सके।

उन्होंने आगे कहा, “भगवान श्रीकृष्ण हमारे इष्ट हैं, क्योंकि ताताथैया तो श्रीकृष्ण ने ही शुरू किया था। जब उन्होंने कालिया नाग का दमन किया था, उस समय उनके फन पर खड़े होकर प्रभु ने “ता थई थई तत” किया था। यह शैली हमें श्रीकृष्ण से ही प्राप्त हुआ है। हम उन्हें ही अपने नृत्य में देखते हैं और अपने नृत्य के माध्यम से ही उनसे प्रार्थना करते हैं और उनकी आराधना करते हैं।” 

इस आयोजन ने सिर्फ नृत्य कला का जश्न ही नहीं मनाया, बल्कि भक्ति और सांस्कृतिक चेतना को भी प्रकट किया। डॉ. यास्मीन और उनके सहयोगी नर्तकों ने कथक की पारंपरिक शैली और भावपूर्ण अभिव्यक्ति के माध्यम से श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके दिव्य चरित्र का जीवंत चित्रण किया।

प्रशंसकों और भक्तों ने भी अपने उत्साह और तालियों के माध्यम से कलाकारों का हृदय से स्वागत किया। इस प्रकार के कार्यक्रम न सिर्फ सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी कथक और भारतीय शास्त्रीय नृत्य की सुंदरता और गहनता से परिचित कराते हैं। कुल मिलाकर, इस्कॉन द्वारका में डॉ. यास्मीन सिंह और उनके समूह की प्रस्तुति ने भक्तों और कला प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव की पेशकश करते हुए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर को और भी विशेष बना दिया।

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