शनि का कुम्भ से मीन राशि में परिवर्तन
मेष के 12 वें भाव में बैठकर शनि धन ऋण और भाग्य भाव कों देखेंगे इसलिए यहाँ थोड़ा धन सम्बंधित समस्याओं का समायोजन करके चलना चाहिए….
वृष के ग्यारहवें भाव में बैठेंगे इस कारण जातक कों इच्छाओ मित्रों और आय व्यव आदि के मामलों में सामंजस्य बैठा कर चलना चाहिए….
मिथुन के दशम भाव में बैठेंगे शनि, इस कारण जातक कों पैतृक विवादों और पिता के स्वास्थ्य आदि कों लेकर थोड़ा सजग रहना चाहिए….
कर्क के भाग्य में बैठेंगे शनि इस कारण जातक कों भाग्य आदि के मामलों में थोड़ा सा मंद परिणाम देखने कों मिल सकते हैँ….
सिंह के आठवें भाव में बैठेंगे शनि जिस कारण जातक कों स्वास्थ्य पेट की समस्या पिता के स्वास्थ्य की समस्या और वाहन आदि में थोड़ी सावधानी रखनी चाहिए….
कन्या के सातवे भाव में बैठेंगे शनि इसलिए पत्नी पार्टनर्स से विवाद ना करें अन्यथा भाग्य का क्षय होगा….
तुला के छठे भाव में बैठेंगे शनि, इस कारण कर्ज, रोग़ मुकदमे और शत्रुओ आदि से सावधान रहना चाहिए यहाँ ननिहाल आदि से सम्बंध नहीं खराब करने चाहिए….
वृश्चिक के पंचम में बैठेंगे शनि तो यहाँ संतान के कारण या संतान की लालसा में या फिर किसी थर्ड पार्टी के कारण जीवन साथी से विवाद नहीं करना चाहिए….
धनु के चौथे भाव में बैठेंगे शनि तो यहाँ माता के स्वास्थ्य का ख्याल रखना है गृह शांति पर ध्यान देना है,ज़मीन प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त आदि कों समझदारी से करना है…
मकर के तीसरे भाव में बैठेंगे शनि तो यहाँ भाई बहन प्रेमी प्रेमिका संतान आदि से विवाद नहीं करना,सही वा सटीक मार्ग पर ही एफर्ट डालने हैँ…
कुम्भ के द्वितीय भाव में बैठेंगे शनि तो यहाँ वाणी पर कंट्रोल, धन का समायोजन करना है, कुल कुटुंब में विवाद आदि से बचना है, माता का सम्मान करना है गृह क्लेश नहीं करना, ज़मीन मकान आदि बेचने मेजल्द बाजी नहीं करनी….
मीन के पहले भाव में बैठेंगे शनि तो यहाँ आलस्य नहीं करना, भाई बहनो से विवाद नहीं करना, पत्नी पार्टनर वा पिता से विवाद नहीं करना, एवं नियमित और अनुशासित रहना है…