UPSC सिविल सेवा परीक्षा हिन्दी और अंग्रेजी दो भाषाओं में आयोजित होती है। लोगों की ऐसी धारणा रहती थी कि अंग्रेजी की तुलना में हिन्दी माध्यम में चयन कम होते हैं। हिन्दी माध्यम में बढ़ रहे चयन इस भावना को खंडित कर रहे हैं। इस सुधार की वजह जानेंगे सर्वाधिक रिजल्ट देने वाली संस्था ‘संस्कृति IAS कोचिंग’ के एक्जक्यूटिव डायरेक्टर रितेश जायसवाल सर से।
रितेश जायसवाल सर UPSC सिविल सेवा की तैयारी कर रहे छात्रों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पढ़ाते हैं। इस विषय में सर पूरे भारत के सर्वश्रेष्ठ अध्यापक हैं। दृष्टि IAS छोड़ने के बाद वर्तमान समय में संस्कृति IAS Coaching में पढ़ा रहे हैं।
संस्कृति IAS कोचिंग उन हजारों अभ्यर्थियों में हौसला भर रही है, जो हिन्दी माध्यम से अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।
चर्चा के क्रम में सर से पूछा कि हिन्दी माध्यम में चयन दर में कैसे सुधार किया जा रहा है?
सर कहते हैं कि परीक्षा में हिन्दी और इंग्लिश भले ही दो भाषाएँ होती हैं लेकिन विषयवस्तु समान होती है। पहला कार्य है कि अभ्यर्थियों को विषयवस्तु के स्तर पर कार्य करना चाहिए फिर भी यदि दोनों माध्यम में परिणामों में अंतर है तो भाषाई समस्या को हल करने से सुधार होगा। संस्कृति IAS कोचिंग ने दोनों स्तरों पर काम किया है, जिसके परिणाम भी दिखने लगे हैं।
हिन्दी माध्यम का रिजल्ट सुधारने के लिए संस्कृति IAS कोचिंग द्वारा क्या प्रयास किए गए हैं?
रिजल्ट सुधारने के लिए संस्कृति IAS कोचिंग में बहुआयामी प्रयास किए गए हैं। अंतिम चयन के दृष्टिगत परीक्षा के प्रत्येक चरण में नवाचार किए गए हैं। छात्र हित में संस्था द्वारा किए जा रहे प्रयास निम्नलिखित हैं-
प्रारंभिक परीक्षा के दृष्टिगत-
- क्लास टेस्ट, टेस्ट सीरीज
- PGP (Prelims Guided Programme)
- PREP (Prepration Enrichment programme), आदि
मुख्य परीक्षा के दृष्टिगत-
- क्लास टेस्ट, टेस्ट सीरीज
- आंसर राइटिंग अभ्यास सेशन
- MGP (Mains Guided Programme), आदि
इंटरव्यू के दृष्टिगत-
- इंटरव्यू गाइडेंस प्रोग्राम
- संस्था में परीक्षा अनुकूल वातावरण का निर्माण
अन्य समन्वित कार्यक्रम-
- मेंटरशिप कार्यक्रम, जहाँ प्रत्येक चरण पर अध्यापकों द्वारा मार्गदर्शन किया जाता है
- NCERT विशेष कार्यक्रम, प्रत्येक छात्र को ये पुस्तके उपलब्ध कराई जाती है।
जानकारी के लिए बता दें कि ये संस्कृति IAS में पढ़ा रहे अनुभवी अध्यापकों के कठिन परिश्रम का ही परिणाम है कि वर्तमान में हिन्दी माध्यम में पर्याप्त अध्ययन सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकी है। यानी संस्कृति IAS कोचिंग ने विषयवस्तु एवं भाषा दोनों के स्तरों पर कार्य किया है। परिणाम भी दिखाई पड़ने लगे हैं आपको जानकर खुशी होगी कि हिन्दी माध्यम से चयनित होने वाले लगभग हर अभ्यर्थी का सम्बन्ध किसी न किसी रूप में संस्कृति IAS कोचिंग से अवश्य होता है।